तुम्हें याद हो कि न याद हो, तुम्हें याद हो कि न याद हो । अधमों को नाथ उबारना, तुम्हें याद हो कि न याद हो । खल जन के मद को उतारना, तुम्हें याद हो कि न याद हो || ® तुम्हें याद हो कि न याद हो, तुम्हें याद हो कि न याद हो । प्रह्लाद जब मरने लगा, खंजर पै सिर धरने लगा । उस दिन का खंम्भ बिदारना, तुम्हें याद हो कि न याद हो || ® तुम्हें याद हो कि न याद हो, तुम्हें याद हो कि न याद हो । धृतराष्ट्र के दरबार में, दुखी द्रौपदी की पुकार में । साड़ी के थान संवारना, तुम्हें याद हो कि न याद हो || © सुरराज ने जो किया प्रलय, ब्रजधाम बसने के समय । गिरवर नखों पर धारना, तुम्हें याद हो कि न याद हो || © हम ‘बिन्दु’ अब जो निराश हैं, केवल तुम्हारी आस है । उनकी दशा भी सुधारना, तुम्हें याद हो कि न याद हो || ©